5 खुराक जो एसिड को कम करते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में एसिड बढ़ना, वह शरीर के कोषों में गर्मी बढ़ने से होता है और यह पित्त के संतुलन बिगड़ने से होता है। पित्त के बढ़ने से वह पेट के द्रव्य में एसिड को बढ़ाता है और जब वह ऊपर की तरफ अन्य के द्वार में आते हैं तो छाती में जलन, दर्द होने लगता है, जिसे एसिडिटी कहते हैं। अगर यह लंबे समय तक रहे तो हृदय रोग का भी निर्माण करता है।
पित्त का संतुलन बिगड़ने का कारण तेल वाला खुराक, तीखा, जंक फूड, चाय और कॉफी के ज्यादा सेवन से होता है और शरीर में एसिड बढ़ने से विषैले तत्वों का भी प्रमाण बढ़ जाता है।
इसे आयुर्वेद के हिसाब से अग्नि बढ़ना कहते हैं। आयुर्वेद में जठराग्नि का बड़ा महत्व है, इसी के संतुलन से भोजन को सही तरीके से पाचन कर सकते हैं और सप्त धातुओं का निर्माण भी होता है। तो जठराग्नि को संतुलन में रखने के लिए यह पांच महत्वपूर्ण चीज है जो आयुर्वेद निर्देश करता है।
5 best food for reducing the acidic levels by Ayurveda.
१) ठंडा दूध
दूध पित्त को संतुलित रखने का सबसे उत्तम खुराक है। रूम के तापमान वाला दूध पेट में बढ़ रहे एसिड को कम करता है, वह जठराग्नि को शांत करता है और पेट में बढ़ रहे एसिड को न्यूट्रल करता है।
जिससे एसिडिटी में तुरंत राहत होती है। शरीर में बनने वाले विषैले पदार्थों को भी संतुलित करता है।
हर रोज दूध के सेवन से पित्त को संतुलन में रखा जा सकता है। परंतु यह दूध गर्म नहीं होना चाहिए। हर रोज 20ml दूध का सेवन लाभकारी होता है।
२) नारियल पानी
नारियल पानी एक अद्भुत और स्वादिष्ट प्राकृतिक खुराक है, जो हमें खुशनुमा करता है और पित्त को संतुलन में लाता है।
सबसे महत्वपूर्ण यह शरीर में बढ़ने वाले विषैले तत्वों का भी नाश करता है। नारियल पानी में फाइबर भी ज्यादा होता है, जो आंतों को भी बड़ी मदद करता है, जिससे कब्जियत में राहत मिलती है।
दिन में 30 ग्राम से अधिक फ्लैश और सॉफ्ट नारियल खाने से भी एसिड का स्तर कम होता है। अगर दिन में दो से तीन बार नारियल पानी का सेवन किया जाए या नारियल दूध लिया जाए तो स्वास्थ्य को अत्यंत लाभ होता है। पेट से संबंधित सारी समस्याओं में जबरदस्त असर करता है।
३) अल्कलाइन फल
नींबू, संतरा, द्राक्ष, जैसे कई फल है, जो एसिडिक है, परंतु इसके सामने केला, सेब, चेरी, तरबूज जैसे अनेक फल है, जो अल्कलाइन लेवल को बढ़ाते हैं और एसिड को कम करते हैं।
जिसके द्वारा शरीर का बढ़ा हुआ पित्त शांत होता है, और संतुलन में रहता है। हर रोज ऐसे फल का सेवन स्वास्थ्यवर्धक है।
४) सब्जियां
सब्जियों (जो एसिडिक ना हो) का रस बनाकर पीने से, पेट में बढे पित्त को संतुलित और शांत करता है। जैसे के गोभी, गाजर ,बीट ,ककड़ी इनका उपयोग 1 दिन में 2 बार करना चाहिए।
उबले हुए सब्जियों के द्वारा भी पेट का बढ़ा हुआ अग्नि शांत होता है। हर रोज ककड़ी का सेवन करने से, पाचन में और एसिड को संतुलन में रखने में बड़ा फायदा होता है।
ऐसी सब्जियों का अपने भोजन में सलाद के तौर पर मरी और सेंधा नमक डालकर सेवन करना भी फायदेमंद है।
५) आमला
आयुर्वेद में आंवले का बड़ा महत्व है। आमला उच्चतम पोस्टिक गुणवत्ता वाला सबसे श्रेष्ठ खुराक है। वह पेट के एसिड को न्यूट्रल करने में बहुत ही असरकारक है।
आंवले को पित्त शामक कहा जाता है।
आंवला जठर के बढ़े हुए अग्नि को, छाती में हो रही जलन को तुरंत कम कर देता है। उसके उपरांत आंवला पाचन शक्ति को भी मजबूत बनाता है और खुराक के पाचन में बहुत लाभदायक है।
हर रोज भोजन के बाद आंवले का सेवन करना अत्यंत लाभदायक है।
इस तरह अगर आपके शरीर में एसिड बढ़ रहा है, पेट में और छाती में जलन हो रही है, यह हफ्ते में दो से तीन बार होता है! तो इसे सामान्य तौर पर ना लें। यह बठने वाला पित्त असंख्य रोगों का मूल बन सकता है। परंतु आयुर्वेद के द्वारा इसका आसानी से निदान हो सकता है।
अगर आपके भोजन में थोड़ा बहुत बदलाव ला दे, तो भी आप इसको न्यूट्रल कर के स्वस्थ रह सकते हैं। अगर यह चीज का सही मार्गदर्शन चाहिए तो निरामय स्वास्थ्यम् में संपर्क करें।
भारत का Best Ayurvedic Treatment Center, Niramay Swasthyam) निरामय स्वास्थ्यम् में पित्त से बढ़ने वाले सारे रोगों का असर कारक उपचार Best Vaidya Yogesh Vani के द्वारा किया जाता है।
क्योंकि आजकल पैसो का दान तो हर कोई करता है,
पर स्वास्थ्य का दान कोई नहीं करता।
तो जो विज्ञान (आयुर्वेद) है, उसको लेकर व्यक्ति को स्वास्थ्य का दान करिए और हमारे देश को स्वस्थ बनाने में मदद रूप बनिए।