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मधुमेह | Diabetes
प्राचीन उपचार क्यों मायने रखता है ??
हमारी संस्था पिछले कई सालों से ऊपर बताए हुए 5 तारीख को के साथ ही उचित निदान कर रही है जिससे हम असाध्य रोग में बहुत अच्छा परिणाम पा सके हैं।
- हमारी संस्था रोग मुक्ति अभियान पर काम कर रही है।
- वैद्य का रोग मुक्ति व्याख्यान सुन कर (जो निशुल्क है) उसके लिए आपको एक बार आना जरूरी है।
- आप अपना रोग हमें दिए गए नंबर +91 9825440570 पर WhatsApp करिए।
- उचित बात करने के बाद अपनी अपॉइंटमेंट बुक करें।
मधुमेह | Diabetes होता कैसे है ??
मधुमेह रोग एक दम से नही होता कि रात को अच्छे भले सोये और सुबह उठे कि पता चला कि मधुमेह रोगी हो गये। किया गया भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते है ये एक तरह कि शर्करा होती है। ग्लूकोज रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखो कोशिकाओं में जाता है। अग्नाश्य वो अंग है जो रसायन उत्पन करता है जिसे इंसुलिन केहते है। इंसुलिन रक्त धारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है, ये ग्लूकोज से मिलकर ही कोशिकाओं तक जा सकता है। शरीर को ऊर्जा देने के लिये कोशिकाये ग्लूकोज को जलाते हुए पाचन करती है। ये प्रकिर्या समान्य शरीर में होती है। जो कर्बोहाय्ड्रेट हम खाते है वो ग्लूकोज बनकर रक्त में चला जाता है। ये सेल (कोशिकाओं)में जाये इसके लिये इंसुलिन नामक हार्मोन कि ज़रूरत होती है ,इंसुलिन के बिना रक्त से सेल के अंदर ग्लूकोज जा ही नही सकता।
ये इंसुलिन , Pancreas नामक ग्रंथि के बीटा सेल्स से रिसता है। आनुवंशिक ,गलत खान पान ,और शारीरिक व्यायाम की कमी में बीटा सेल्स से इंसुलिन रिसने की श्रमता ख़त्म होने लगती है। तब इंसुलिन की शरीर में कमी हो जाती है, जो इंसुलिन होता है वो भी नाकाम हो जाता है। तब ग्लूकोज रक्त में बढ़ता जाता है मगर सेल्स के अंदर नही घुस पाता, ये ही है मधुमेह की अवस्था।
मधुमेह होने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। पेट फ़िर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रह्ता है, ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा सकता और रक्त धारा में ही बना रहता है। इसी को उच्च रक्त ग्लूकोज केहते है। कोशिकाओं में पर्याप्त ग्लूकोज ना होने के कारण कोशिकाये उतनी ऊर्जा नही बना पाती जिससे शरीर सुचारु रुप से चल सके।
यदि रक्त में शर्करा का स्तर लम्बे समय तक समान्य से ज्यादा बना रहता है तो उच्च रक्त ग्लूकोज अधिक समय के बाद विषैला हो जाता है। अधिक समय के बाद ये शरीर के प्रमुख अंगो और स्नायाऔ को खराब कर देता है। जिस अंग की नडिया ब्लोक होने लगे उसी में रोग हो जाता है। रोगियों की रक्त की नालियों की दीवारों में निरंतर चर्बी और calcium। इकठ्ठा होने की प्रक्रिया चलती रहती है जिससे नालिया सिकुड़ने लगती है। अगर शरीर के अंगो को शुध्द रक्त आक्सीजन तथा भोजन प्राय्प्त मात्रा में नही मिलेगा तो एक दिन दिल कर दौरे की सम्भावना बन जाती है किस्मे।
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चिंता न करें हमारी संस्था रोग मुक्ति अभियान पर चल रही है,
जिसमें रोग क्यों अच्छा नहीं होता है, दवा लेने के बाद भी रोग बार-बार क्यों होता है ??
ऐसा क्या करना चाहिए जिससे रोग दूसरी बात ना हो उसके कहीं फैक्टर है वह समझ ने के लिए वैद्य वाणीजी का व्याख्यान सुनना होता है।
3 से 4 महीने के बाद अच्छा होने का शुरू होता है और 12 महीने का कोर्स होता है।
अच्छा, लेकिन हमारी संस्था भारत भर में पहली ऐसी संस्था है जो व्याख्यान से रोग मुक्ति हो वह चाहती है, इस वजह से संस्था हर राज्य में से दर्दी पहली बार वैद्य जी का व्याख्यान सुनने आते हैं।
नहीं, हमारी संस्था दवा देना और दवा बेचने का काम नहीं करते हैं, आपको अच्छा करना वही हमारी संस्था का सिद्धांत है, अगर आप पूरी तरह अच्छा होना चाहते हैं तो एक बार आपको संस्था में आकर वहीद जी का व्याख्यान सुनना होगा।
हमारी संस्था सोमवार से शुक्रवार में Appointment लेकर आना होता है, और आपको संस्था में से मैसेज आता है
हमारी संस्था में फाइल चार्ज, कंसल्टेंसी चार्ज नहीं होता है, निशुल्क निदान किया जाता है लेकिन आपके प्रकृति के तथा 7 धातु के अनुसार प्राकृतिक दवाई दी जाती है उसका एक खर्च होता है।
हमारी संस्था है यह प्राइवेट नहीं है केवल समाज के लिए काम करती है।
सही बात है। लेकिन आपने जो ट्रीटमेंट(Treatment) ली है वह बाहर से की होती है, इसीलिए थोड़े टाइम (Temporary) के लिए अच्छा होता है।
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धन्यवाद सर जी
Khub khub abhar sir
मैं स्वस्थ हूँ
मैं स्वस्थ ही हूँ
मेरा स्वस्थ रहना जन्मसिद्ध हक है
Thanks sir