10 Main Principles of Eating Meals According to Ayurveda | Part 2

भोजन यह शरीर की अत्यंत आवश्यक चीजों में से एक है। यही शरीर की हर चीज को बनाता है। सप्त धातु पंचकोश तीन प्रकृति यह सब का आधार मनुष्य का भोजन ही है। आहार से ही स्वास्थ्य का पता लगता है।

इसलिए आयुर्वेद में भोजन के लिए कैसा भोजन लेना चाहिए ? किस तरह से भोजन लेना चाहिए ? कैसे भोजन लेना चाहिए ? इस पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया है।

परंतु आजकल लोगों का ध्यान भोजन कैसे ले, कब ले इसके ऊपर जरा भी नहीं है।

और आयुर्वेद यह बड़े भार से कहता है कि आप कितना भोजन ले रहे हो यह महत्वपूर्ण नहीं है परंतु भोजन का पाचन कैसे हो रहा है यही सबसे महत्वपूर्ण है।

इसके लिए आयुर्वेद के यह 10 सुझाव आप को तंदुरुस्त रखने में बहुत लाभ कारक रहेंगे।

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6) छोटे निवाले खाए

छोटा निवाला अच्छे से चलाया जा सकता है। इस वजह से खाने का सही तरीके से लार के साथ मिश्रण होता है। और खाना अच्छे से पचता भी है। ऐसे ही संपूर्ण पाचन प्रक्रिया पूर्ण होती है।

7) खाने के लिए पांचों इंद्रियों का प्रयोग करें

रंग, स्वाद, खुशबू, स्पर्श आदि सभी आप को भोजन करने के लिए प्रलोभन देने का कार्य करते हैं। इसके उपयोग से सही तरीके से लार का निर्माण होता है। और जठर में पाचक रस भी ठीक से बनते हैं। जो खाना पचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और यह चीजों का उपयोग करने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। क्योंकि खाना सही तरीके से पचने से ही शरीर में हर चीज का निर्माण होता है।

8) जूते चप्पल पहन कर खाना ना खाए

आयुर्वेद के अनुसार जूते चप्पल के द्वारा गर्मी की उत्पत्ति होती है, इसीलिए हमेशा पैरों को धोकर आलथी- पालथी मारकर बैठकर ही खाना खाए। और आध्यात्मिक कारण में यह है के जिसके द्वारा हमारे शरीर का निर्माण होता है वह अन्न का महत्व और मूल्य रखना चाहिए इसलिए जूते निकाल देना चाहिए।

9) एक निश्चित समय बनाएं और उसी के अनुसार भोजन करें

समय से खाना खाने से आपकी पूरी सेहत ठीक रहती है।अगर खाने का एक निश्चित समय है तो उस समय से थोड़ी देर पहले शरीर में पाचक रस पर्याप्त मात्रा में बनना चाहिए।इसलिए अगर समय सुनिश्चित है तो शरीर को ही पता चल जाता है कि पाचक रस कब बनाना है। और भोजन के समय एक तिहाई भाग खाली छोड़ देना चाहिए, जिसकी वजह से भोजन पेट में जाकर अच्छे से पच जाए और वात्त दोष को संतुलित रख पाए।

10) पानी कब पिए

आयुर्वेद के अनुसार भोजन के 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन के समय भी पानी नहीं पीना चाहिए। पानी पाचक रस को मंद कर देता है, जिसकी वजह से भोजन पचने में तकलीफ होती है। इस वजह से पानी का नियम ध्यान में रखना चाहिए।

अगर यह सारी चीजों को हम सही तरीके से ध्यान में रखते हैं तो आयुर्वेद कहता है कि हमारा जो भोजन है वह बहुत सही मायनों में पचेगा। और भोजन का पाचन होने पर ही शरीर का स्वास्थ्य बना रहता है। इस वजह से तंदुरुस्ती भी बनी रहेगी। रोगों की उत्पत्ति का बहुत बड़ा कारण है भोजन का न पचना। तो भोजन के सही पाचन की वजह से रोगों से भी हम दूर रहेंगे और अच्छे स्वास्थ्य को पाएंगे।

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