Arogya Mandir
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Phone Numberइंसान का जन्म है, तो मृत्यु है कि नहीं ?
तो रोगों की उत्पत्ति है, तो नाश भी है ।
यही सोच के साथ आयुर्वेद (Ayurveda) की शुरुआत होती है।
मानं च तच्च यत्रोक्तं आयुर्वेदः स उच्यते।।
हितायु, अहितायु, सुखायु एवं दु:खायु इस प्रकार चतुर्विध आयु के हित तथा अहित, पथ्य और अपथ्य आयु का प्रमाण एवं स्वरूप जिसमें हो, वह आयुर्वेद (Ayurveda) कहा जाता है।
आयुर् + वेद = आयुर्वेद
आयुर् = जीवन
वेद = विज्ञान
जीवेम शरद: शतम्
यह भारत के शास्त्रों में से ऋग्वेद में कहां हुआ आशीर्वाद है। इसी को सार्थक करने के लिए, आयुर्वेद क्या है? यह समझना बहुत जरूरी है।
अगर आयुर्वेद को आप समझते हो, मार्गदर्शन सही मिलता है तो आप आराम से 100 साल जी सकते हो।
भारत में 10,000 साल पहले से आयुर्वेद के ज्ञान को ऋषियों के द्वारा दिया गया है।
जिसमें चरक संहिता सुश्रुत संहिता और अष्टांग ह्रदय आयुर्वेद के पुरातन ग्रंथ है। आज भी आयुर्वेद की असर टीबेटीयन, ग्रीक, चाइनीस मेडिसिन मैं दिखाई देती है। आज आयुर्वेद अल्टरनेट मेडिसिन से भी जाना जाता है।
आज हम ऐसा समझते हैं कि आयुर्वेद में सिर्फ दवाइयां है। परंतु आयुर्वेद हमारे जीवन की पद्धति बताता है।
पृथ्वी पर इतने सारे पशु पक्षी है,तो उनको दवाई लेने की जरूरत नहीं होती ?
यह सवाल समझना बहुत जरूरी है तो आयुर्वेद क्या है हम आसानी से समझ सकते हैं।
वह प्रकृति के संतुलन से खुद का संतुलन बनाए रखते हैं, और यही बातें आयुर्वेद में कही गई है, के हमारा खाना, हमारी सोच, हमारा रसोईघर, हमारी पूरी जीवन प्रणाली कैसी होनी चाहिए।
अगर यह सामान्य चीजें भी हम हर रोज अपने जीवन में ध्यान रखते हैं तो हमारा शरीर ही ऐसा बनाया है भगवान ने कि वह खुद ही रोगों से लड़ सकता है।
पर फिर भी काफी बार ऐसा होता है कि कुछ ऐसी बीमारी है जो हमें समझ में नहीं आती है उसका भी इलाज आयुर्वेद में बताया गया है।
बहुत सारी ऐसी वनस्पति औषधि है कि जिस का उपयोग करके हम हमारे शरीर की सारी चीजों का संतुलन कर सकते हैं।
आयुर्वेद कहता है,
शरीर की रचना प्रकृति से हुई है। हम प्रकृति का एक बेजोड़ भाग है। प्रकृति में कुछ ऐसी चीजें है जो अद्भुत है जैसे कि वह खुद ही अपनी बीमारियों को अपने आसपास की बुरी चीजों को मिटा देती है।
जैसे के समुद्र में कोई भी चीज डालो तो वह काम का नहीं है, तो उसको बाहर फेंक देता है।
इसी तरह प्रकृति में हर वह चीज, जहां पर सवाल खड़ा होता है, उसका जवाब है।
इसीलिए हम प्रकृति से जुड़कर लंबा और स्वस्थ आयुष्य रख सकते हैं और सारे रोगों को मिटा सकते हैं।
क्योंकि…
हमारा शरीर पंचमहाभूत, पंचकोश, सप्त धातु और तीन दोष से बनता है।
परंतु आज डायबिटीज, सोरायसिस, ब्लड प्रेशर, थाइरोइड, संधिवात, मिर्गी, माइग्रेन, कोलेस्ट्रॉल, दमा और अनेक एलर्जी में आजीवन दवा लेने का सूचन किया जाता है,
पर क्यों ?।
ऐसा सवाल कोई करता ही नहीं है,।
लेकिन यह समझना बहुत जरूरी है के,
इंसान का जन्म है, तो मृत्यु है कि नहीं ?
तो रोगों की उत्पत्ति है, तो नाश भी है ।
परंतु आज देखा जाए तो जो दवाइयां है सिर्फ हमारे रोगों के लक्षण की ही की जाती है,
परंतु आयुर्वेद रोगों के कारण का मूलभूत उपचार करके कैसे भी असाध्य रोगों को मिटाने की क्षमता रखता है।
आयुर्वेद में जो दवाई का उपयोग किया जाता है, वह प्रकृति से बनी हुई जड़ी बूटी, औषधीय वनस्पति होती है। उसका उपयोग करने से कभी कोई नुकसान नहीं होता।
यहां हमारे शरीर को संतुलन में रखती है। आयुर्वेद का जड़ से जिसने अभ्यास किया है उसे वैद्य कहा जाता है। जो नाड़ी परीक्षण के द्वारा आपकी त्रिदोष की स्थिति जान सकते हैं। और आप की प्रकृति के अनुसार आपको जीवन शैली और रसोई घर में बदलाव लाने का सूचन करते हैं और जरूरत के हिसाब से दवाइयां भी देते हैं। ऐसे एक वैद्य योगेश भाई वाणी सूरत में निरामय स्वास्थ्यम् के द्वारा निशुल्क चिकित्सा भी करते हैं।
आयुर्वेद प्रकृति और हमारे शरीर की उर्जा को संतुलन में लाता है। जिसके लिए आयुर्वेद में बहुत सारी अलग-अलग पद्धतियां भी है, जैसे के पंचकर्म (Niramay Panchkarma) के द्वारा उसमें शरीर में से विषैले पदार्थो को सही तरीके से शरीर के द्वारों से निकाल सकते हो।
मर्मदाब (Acupressure) के द्वारा शरीर के अलग-अलग ऊर्जा स्त्रोतों में ऊर्जा का बहाव संतुलन कर सकते हो।
योगासन के द्वारा शरीर की मांसपेशियों को सक्रिय रख सकते हैं।
प्राणायाम के द्वारा शरीर में प्राणवायु का संतुलन बना सकते हैं।
कोई भी लोगों का प्राकृतिक तरीके से निदान होता है।
इससे कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है।
यह बहुत इफेक्टिव तरीका है क्योंकि इससे होने वाले निदान से रोग फिर से आने की संभावना भी घट जाती है।
इसमें काफी सारी ऐसी चीजें है जो अगर हम समझ जाए याद रख ले तो 80% काम हम खुद ही घर पर ही कर सकते हैं।
अगर आयुर्वेद के हिसाब से जीवन शैली रखते हैं तो समझ लीजिए के रोगों का शरीर में आना बहुत ही कठिन हो जाता है।
100 साल तक आयुष्य आराम से टीका सकते हैं।
यह बहुत पुराना शास्त्र है जो ऋषियों द्वारा प्रमाणित किया गया है। आज भी बहुत सारी मेडिसिन पद्धति में उसकी असर दिखती है।
हमारे शरीर की हर एक चीज का ध्यान इस में रखा गया है।
आयुर्वेद में बताई गई बहुत सारी वनस्पतियों को हम घर पर भी उगा सकते हैं और उसका उपयोग कर सकते हैं जो हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।
आयुर्वेद के द्वारा
मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, संधिवात, पैरालिसिस, ह्रदयरोग, चमड़ी के रोग, सोरायसिस, माइग्रेन, कैंसर, एलर्जी जैसे कोई भी रोगों में सकारात्मक परिणाम मिल सकता है।
अपने जीवन से यह लोगों को आप आराम से मिटा सकते हैं।
ऐसे कोई भी लोगों को मिटाने के लिए सूरत में लक्ष्मी नारायण चैरिटेबल ट्रस्ट (NGO) द्वारा चलने वाले निरामय स्वास्थ्यम् में वैद्य योगेश वाणी जी के द्वारा निशुल्क नाड़ी परीक्षण होता है और आज तक बहुत सारे लोगों को चैलेंजिंग रोगों से भी छुटकारा मिला है।