10 main rules for eating food By Ayurveda

Know the 10 Main Rules for Eating Food by Ayurveda

भोजन यह शरीर की अत्यंत आवश्यक चीजों में से एक है। यही शरीर की हर चीज को बनाता है। सप्त धातु पंचकोश तीन प्रकृति यह सब का आधार मनुष्य का भोजन ही है। आहार से ही स्वास्थ्य का पता लगता है।

इसलिए आयुर्वेद में भोजन के लिए, कैसा भोजन लेना चाहिए? किस तरह से भोजन लेना चाहिए? कैसे भोजन लेना चाहिए? इस पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया है।

परंतु आजकल लोगों का ध्यान भोजन कैसे ले, कब ले इसके ऊपर जरा भी नहीं है।

Know the 10 Main Rules for Eating Food by Ayurveda

और आयुर्वेद यह बड़े भार से कहता है कि आप कितना भोजन ले रहे हो यह महत्वपूर्ण नहीं है, परंतु

भोजन का पाचन कैसे हो रहा है, यही सबसे महत्वपूर्ण है।

इसके लिए आयुर्वेद के यह 10 सुझाव आप को तंदुरुस्त रखने में बहुत लाभ कारक रहेंगे।


1) ताजा और गर्म खाना खाए

खाना हमेशा ताजा और गर्म होना चाहिए।इससे शरीर में स्वस्थ पाचन तंत्र और वात संतुलन बना रहता है। स्वस्थ पाचन तंत्र ही हमारे शरीर को पूरी तरह से संतुलित रखता है।

इसके लिए कभी बासी खाना ना खाएं। बासी और ठंडा खाना खाने से पाचन तंत्र बिगड़ता है और शरीर में वात का संतुलन भी बिगड़ता है। इसीलिए आयुर्वेद के अनुसार आटा बनाने के बाद उसे ज्यादा से ज्यादा 3 दिन में खत्म कर दे। और रोटी का आटा गूंदने के बाद 1 से 2 घंटे में रोटी बना कर खा ही जाए।

2) खाना तब खाये, जब आप भूखे हो

जब पिछली बार खाए गए भोजन का रस पच जाता है और उससे मिली हुई ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है, तभी शरीर को भूख का एहसास होता है। और यही सही समय है, भोजन लेने का। खाना पचने के लिए कम से कम दो समय के बीच में 4 से 6 घंटे का तफावत रहना चाहिए और जब भूख लगे तभी खाना चाहिए। भोजन का एक समय निश्चित कर लेना बहुत स्वास्थ्यप्रद होता है। बिना भूख लगे भोजन खाने से खाना पचता नहीं है और रोगों का भी आना बढ़ जाता है। भूख ना हो और तब खाते हैं तो मोटापा आने का महत्वपूर्ण कारण यही है।

3) आरामदायक जगह पे और शांति पूर्वक ही भोजन करें

हमें खाना खाने के आसपास की जगह का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। वह जगह साफ, सुंदर और शांत होनी चाहिए। अगर हो सके तो एकांत में भोजन करें। आयुर्वेद में खड़े होकर खाना खाने को वर्जित बताया गया है, इसीलिए आराम से बैठकर और शांत दिमाग से खाना खाए और खाने का आनंद लें। क्योंकि

हमारा भोजन ही हमारे शरीर का निर्माण करता है।

4) बिना किसी रूकावट के खाना खाए

भोजन के समय कुछ ऐसा ना करें, जिससे आपका ध्यान भोजन के अलावा दूसरी जगह पर भटके। इसलिए भोजन के समय बातचीत, फोन का उपयोग, टीवी देखना या कोई भी और यंत्र का उपयोग न करें। यह सारी चीजों से हमारा ध्यान भोजन के अलावा दूसरी जगह जाता है, तो इसे रोकने का प्रयत्न करें।

5) जल्दी-जल्दी में ना खाए

आयुर्वेद ठीक से चबाकर खाना खाने पर बहुत ज्यादा जोर देता है। ऐसा करने पर खाने का जूस पूरी तरह से अवशोषित होता है। साथ ही जरूरत से ज्यादा खाने को भी आयुर्वेद में निषेध बताया गया है। कम खाए पर ठीक से चबाकर खाएं। ऐसा करने से पेट भी जल्दी भरता है। खाना कितना खा रहे हो इससे महत्वपूर्ण है खाना कितना पचा रहे हो। और खाने को अच्छे से बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा हो सके इतना चबाना चाहिए। इसलिए शांति से ही खाए जल्दी-जल्दी में खाने से सही तरीके से चबाने पर ध्यान नहीं आता और भोजन पचता नहीं है। इसलिए कभी भी जल्दी-जल्दी में ना खाएं।

6) छोटे निवाले खाए

छोटा निवाला अच्छे से चबाया जा सकता है। इस वजह से खाने का सही तरीके से लार के साथ मिश्रण होता है और खाना अच्छे से पचता भी है। ऐसे ही संपूर्ण पाचन प्रक्रिया पूर्ण होती है।

7) खाने के लिए पांचों इंद्रियों का प्रयोग करें

रंग, स्वाद, खुशबू, स्पर्श आदि सभी आप को भोजन करने के लिए प्रलोभन देने का कार्य करते हैं। इसके उपयोग से सही तरीके से लार का निर्माण होता है और जठर में पाचक रस भी ठीक से बनते हैं, जो खाना पचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और यह चीजों का उपयोग करने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। क्योंकि खाना सही तरीके से पचने से ही शरीर में हर चीज का निर्माण होता है।

8) जूते चप्पल पहन कर खाना ना खाए

आयुर्वेद के अनुसार जूते चप्पल के द्वारा गर्मी की उत्पत्ति होती है, इसीलिए हमेशा पैरों को धोकर आलथी- पालथी मारकर बैठकर ही खाना खाए। और आध्यात्मिक कारण में यह है के जिसके द्वारा हमारे शरीर का निर्माण होता है वह अन्न का महत्व और मूल्य रखना चाहिए, इसलिए जूते निकाल देना चाहिए।

9) एक निश्चित समय बनाएं और उसी के अनुसार भोजन करें

समय से खाना खाने से आपकी पूरी सेहत ठीक रहती है।अगर खाने का एक निश्चित समय है, तो उस समय से थोड़ी देर पहले शरीर में पाचक रस पर्याप्त मात्रा में बनना चाहिए। इसलिए अगर समय सुनिश्चित है, तो शरीर को ही पता चल जाता है कि पाचक रस कब बनाना है। और भोजन के समय एक तिहाई भाग खाली छोड़ देना चाहिए, जिसकी वजह से भोजन पेट में जाकर अच्छे से पच जाए और वात्त दोष को संतुलित रख पाए।

10) पानी कब पिए

आयुर्वेद के अनुसार भोजन के 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन के समय भी पानी नहीं पीना चाहिए। पानी पाचक रस को मंद कर देता है, जिसकी वजह से भोजन पचने में तकलीफ होती है। इस वजह से पानी का नियम ध्यान में रखना चाहिए।

अगर यह सारी चीजों को हम सही तरीके से ध्यान में रखते हैं, तो आयुर्वेद कहता है कि हमारा जो भोजन है वह बहुत सही मायनों में पचेगा और भोजन का पाचन होने पर ही शरीर का स्वास्थ्य बना रहता है, इस वजह से तंदुरुस्ती भी बनी रहेगी।

रोगों की उत्पत्ति का बहुत बड़ा कारण है, भोजन का न पचना। तो भोजन के सही पाचन की वजह से रोगों से भी हम दूर रहेंगे और अच्छे स्वास्थ्य को पाएंगे।

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स्वस्थ रहो, मस्त रहो

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