स्वस्थ रहना है, तो आज जो संपूर्ण विज्ञान है उसको अपनाना ही होगा। इसके लिए अगर देखा जाए तो आयुर्वेद आज हर कोई जान रहा है, और उसके उपयोग से स्वास्थ्य को भी पा रहा है। आयुर्वेद में आज की हर समस्या का समाधान प्राकृतिक तरीके से मिलता है। सिर्फ यही नहीं, समस्या आने से पहले जो करना होता है, वह आयुर्वेद वैज्ञानिक तरीके से समझाता है। और अगर कोई आयुर्वेद के नियमों से चलता है, तो आम रोग तो क्या बड़े-बड़े रोग भी नहीं आते। और आयुर्वेद के आधार पर जीवेम शरदः शतम् को सार्थक करके हर एक व्यक्ति लंबा, स्वस्थ और आनंदमय जीवन जी सकते हैं।
आज कई परीक्षण हुए हैं, और यह विज्ञान को आधार भी मिला है, लोग जागृत हो रहे हैं, और उसको अपने जीवन में पालन भी कर रहे हैं, जिनसे उनके स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन भी आते दिख रहे हैं।
वैसी आयुर्वेद की यह 10 टिप्स जो आपके स्वास्थ्य को बढ़ाने में बहुत मदद रूप होगी।
आयुर्वेद के अनुसार सूर्योदय से 48 मिनट पहले का समय ब्रह्मा मुहूर्त होता है। वह 4.24am से शुरू होता है, और इसका महत्व यह है कि
ब्रह्म का अर्थ होता है ज्ञान,
इसलिए यह समय में हमारा मस्तिष्क सबसे ज्यादा सक्रिय होता है।
अगर यह समय का सही उपयोग किया जाए तो मनुष्य विज्ञान, अध्यात्म, मनोविज्ञान आदि सारे विषयों का ज्ञान सरलता से प्राप्त कर सकता है।
और इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त में उठने से शारीरिक शक्ति और क्षमता भी बढ़ती है, जो हमें तंदुरुस्त रखती है।
ब्रह्म मुहूर्त में 40% ऑक्सीजन होता है।
आयुर्वेद के अनुसार हर रोज व्यायाम करने से हमारे शरीर के हर एक कोश, स्नायु और संपूर्ण शरीर सक्रिय रहते हैं। जो स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उदाहरण – योग और प्राणायाम करने से शरीर में (ऑक्सीजन) प्राण वायु का प्रमाण बढ़ता है, और इससे स्वास्थ्य सक्रिय रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग(Oil Application) करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
यह शरीर के सारे भागों में नमी (Moisture) को बनाए रखता है।
जिससे घुटनों का दर्द, कमर दर्द, त्वचा का सूखना आदि बहुत सारी चीजों में फायदा मिलता है।
हमारे केश में, शरीर के हर द्वार में अभ्यंग करना जरूरी है।
इसके लिए सर्वश्रेष्ठ निरामय पंचगव्य नस्य (Niramay Panchgavya Nasya) है।
इसके लिए निरामय स्वास्थ्यम् (Best Ayurvedic Treatment Center, Niramay Swasthyam) में संपर्क करें।
हल्दी, चने का आटा, त्रिफला आदि चीजों को सप्रमाण मिला कर यह उव्दर्तन, अभ्यंग के बाद और नहाने से पहले उपयोग करें।
उव्दर्तन के उपयोग से शरीर का वजन, मास, त्वचा में नमी, त्वचा में तनाव सब में मदद मिलती है।
तिल का तेल, नारियल तेल और गर्म पानी यह कवल ग्रह (Do Oil Pulling) उत्तम है।
एक चम्मच तेल लेकर मुंह में हर कोने में 10 मिनट तक घुमाना है। उसके बाद उसको उगल देना है।
कवल ग्रह (Do Oil Pulling) मुंह में रहने वाले बैक्टीरिया को मिटाता है, और दांतों को स्वच्छ और मजबूत रखता है।
जब हम ज्यादा खाते हैं, तो हमारे जठर मैं हद से ज्यादा तनाव पैदा होता है। इसे पचाने के लिए जो हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) बनता है, उसे भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से वह अन्न नली में जाता है, और ह्रदय को नुकसान पहुंचाने वाले गैस पैदा करता है।
आयुर्वेद के अनुसार पेट को कभी अन्याय ना करें।
संतुलित और कम मात्रा में ही खाए।
भोजन के समय हम जो खाते हैं, इसके ऊपर हमारी जैसी सोच है, सकारात्मक और नकारात्मक उसकी असर होती है। और यही हमारे मन पर और पाचन पर असर करता है।
परीक्षण के अनुसार जाना गया है, मोटापा (Obesity) और ज्यादा वजन की समस्या का सबसे बड़ा समाधान है, आनंद में हो कर भोजन में ध्यान दें। सकारात्मक सोचे और संतुलित आहार ले।
रोजाना काली मिर्च के सेवन से हमारे शरीर की प्रकृति संतुलन में रहती है। आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ने से ही रोग आते हैं।
और यह काली मिर्च जो हमारे रसोई घर में पाया जाता है, वहां संतुलन करने के लिए सबसे बेहतरीन है।
हर रोज 2 मरी को पानी के साथ निगल ले।
गुनगुना पानी उल्टी, थकान, तनाव, पेट में जलन, पित्त के रोगों मैं मदद करता है। यह शरीर में से विषैले (Toxic) तत्वों को भी निकालता है।
परीक्षण के अनुसार पाया गया के 30% से ज्यादा मांसपेशियों को बढ़ाने में मदद करता है।
वजन कम करने में, पाचन शक्ति मजबूत करने में,
कब्जियत को दूर करने में यह बहुत असर कारक है।
आयुर्वेद के अनुसार उपवास करना स्वास्थ्य वर्धक है।
हफ्ते में एक बार उपवास करने से भी ह्रदय की समस्याओं में, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को संतुलन रखने में और शरीर में ऑक्सीडेशन लेवल को बनाए रखने में, DNA और RNA के सहयोग में और उम्र को घटाने में बहुत असर कारक है।
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